याद का दीपक जलता है जब आसानी से जो मिलता है, तो कौन उसे पूछता है। न मिले तो खोजता है। बचपन के दिन थे, बातें सुहानी थी। मेरे बाबा मेरे साथ थे, पर मुझमे वो बात न थी। जो उनने दिखाना चाहा, मैं देख न पायी। बालमन का चंचल पंछी, खेलने को दौड़ पड़ी। यादों का दीपक अक्सर, मेरे मन में जलता है, जो आसानी से मिल जाये उसे कोण पूछता है। काश वो दिन आ जाये, जो बाबा मेरे पास हो, अज्ञान का तिमिर हटाने को, चेतना का प्रकाश हो। अतीत की सुनी राहों में मन सुकून को ललचता है। बाबा की बातें याद कर, यादों का दीपक जलता है। सविता की कलम से
याद का दीपक जलता है जब आसानी से जो मिलता है, तो कौन उसे पूछता है। न मिले तो खोजता है। बचपन के दिन थे, बातें सुहानी थी। मेरे बाबा मेरे साथ थे, पर मुझमे वो बात न थी। जो उनने दिखाना चाहा, मैं देख न पायी। बालमन का चंचल पंछी, खेलने को दौड़ पड़ी। यादों का दीपक अक्सर, मेरे मन में जलता है, जो आसानी से मिल जाये उसे कोण पूछता है। काश वो दिन आ जाये, जो बाबा मेरे पास हो, अज्ञान का तिमिर हटाने को, चेतना का प्रकाश हो। अतीत की सुनी राहों में मन सुकून को ललचता है। बाबा की बातें याद कर, यादों का दीपक जलता है। सविता की कलम से