खुद को परखो खुद को जानो,अपने अंदर की संभावनायें जगाओ। चुभ रही है जो हृदय में ,उस चुभन को पुष्प बनाओ। परखो अपने अंदर की सच्चाई को, अच्छाई को ढाल बना लो। जीतोगे हर जंग मुसाफिर,जीतने की उम्मीद जगा लो। प्रकृति भी तुम्हें तोड न पायेगी ,बस आत्मविश्लेषण कर मनको उठा लो। खुद को परखो खुद को जानो,खुद की एक पहचान बना लो। सविता
खुद को परखो खुद को जानो,अपने अंदर की संभावनायें जगाओ। चुभ रही है जो हृदय में ,उस चुभन को पुष्प बनाओ। परखो अपने अंदर की सच्चाई को, अच्छाई को ढाल बना लो। जीतोगे हर जंग मुसाफिर,जीतने की उम्मीद जगा लो। प्रकृति भी तुम्हें तोड न पायेगी ,बस आत्मविश्लेषण कर मनको उठा लो। खुद को परखो खुद को जानो,खुद की एक पहचान बना लो। सविता